Sir louis braille biography in hindi
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दृष्टीबाधितों के मसीहा एवं ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल
लुई ब्रेल जीवनी / Louis Pedagogue Biography hassle Hindi
Louis Pedagogue / लुई ब्रेल
दृष्टीबाधितों के मसीहा एवं ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल का जन्म फ्रांस के छोटे से गाँव कुप्रे में हुआ था । 4 जनवरी 1809 को मध्यम वर्गीय परिवार में जन्में लुई ब्रेल की आँखों की रोशनी महज तीन साल की उम्र में एक हादसे के दौरान नष्ट हो गई। परिवार में तो दुःख का माहौल हो गया क्योंकि ये घटना उस समय की है जब उपचार की इतनी तकनीक इजात नही हुई थी जितनी कि अब है।
बालक लुई बहुत जल्द ही अपनी स्थिती में रम गये थे। बचपन से ही लुई ब्रेल में गजब की क्षमता थी। हर बात को सीखने के प्रति उनकी जिज्ञास को देखते हुए, चर्च के पादरी ने लुई ब्रेल का दाखिला पेरिस के अंधविद्यालय में करवा दिया। बचपन से ही लुई ब्रेल की अद्भुत प्रतिभा के सभी कायल थे। उन्होने विद्यालय में विभिन्न विषयों का अध्यन किया।
कहते हैं ईश्वर ने सभी को इस धरती पर किसी न किसी प्रयोजन हेतु भेजा है। लुई ब्रेल की जिन्दगी से तो यही सत्य उजागर होता है कि उनके बचपन के एक्सीडेंट के पीछे ईश्वर का कुछ खास मकसद छुपा हुआ था। 1825 में लुई ब्रेल ने मात्र 16 वर्ष की उम्र में एक ऐसी लिपि का आविष्कार कर दिया जिसे ब्रेल लिपि कहते हैं। इस लिपि के आविष्कार ने दृष्टीबाधित लोगों की शिक्षा में क्रांति ला दी।
गणित, भुगोल एवं इतिहास विषयों में प्रवीण लुई की अध्ययन काल में ही फ्रांस की सेना के कैप्टन चार्ल्र्स बा
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आज का इतिहास:उस व्यक्ति का जन्म, जिसने खुद नेत्रहीन होकर भी नेत्रहीनों को पढ़ने-लिखने में सक्षम बनाया
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3 वर्ष पहले
आज ही के दिन लुई ब्रेल का 1809 में फ्रांस के एक छोटे से कस्बे कुप्रे में जन्म हुआ था। लुई ब्रेल को एक ऐसे शख्स के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने खुद नेत्रहीन होने के बावजूद दृष्टिहीनों को पढ़ने-लिखने में सक्षम बनाने के लिए एक नया आविष्कार किया, जिसे ब्रेल लिपि कहा जाता है।
लुई ब्रेल जन्मजात नेत्रहीन नहीं थे। बचपन में एक हादसे में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। लुई ब्रेल के पिता रेले ब्रेल शाही घोड़ों के लिए काठी बनाने का काम करते थे। 3 साल की उम्र में एक बार जब लुई अपने पिता के औजारों से खेल रहे थे तो एक औजार उनकी आंख में लग गया। जैसे-जैसे लुई बड़े होने लगे उनकी आंखों की चोट की तकलीफ बढ़ती गई। 8 साल का होते-होते लुई ब्रेल की आंखों की रोशनी पूरी तरह जा चुकी थी।
नेत्रहीनों के पढ़ने-लिखने के लिए लुई ब्रेल ने ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था
लुई ने कैसे किया ब्रेल लिपि का आविष्कार
लुई को महज 16 साल की उम्र में ही लुई ब्रेल के आविष्कार का आइडिया आया था। उस उम्र में उनकी मुलाकात फ्रांस की सेना के कैप्टन चार्ल्स बार्बियर से हुई। चार्ल्स ने लुई को 'नाइट राइटिंग' और 'सोनोग्राफी' के बारे में बताया था, जिसकी मदद से सैनिक
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बचपन में आंखों की रोशनी गई तो दुनियाभर के नेत्रहीनों के लिए बना दी ब्रेल लिपि, पढ़ें उनके जीवन के किस्से
आज अगर नेत्रहीन लोग भी हर क्षेत्र में अपना झंडा बुलंद कर रहे हैं, सरकारी नौकरियों से लेकर निजी कंपनियों तक में अपनी प्रतिभा से सबके साथ-साथ चल रहे हैं तो इसका श्रेय जाता है लुई ब्रेल को. खुद की आंखों की रोशनी बचपन में ही गंवाने के बावजूद नेत्रहीनों के लिए खास लिपि यानी ब्रेल लिपि बना कर लिखना-पढ़ना आसान बना दिया.
इससे आज प्रबंधन, विज्ञान, वाणिज्य और कला से लेकर सभी विषयों में पढ़ाई और नौकरी से लेकर रोजगार तक में नेत्रहीन किसी से कम नहीं हैं. उन्हीं लुई ब्रेल की जयंती पर आइए जान लेते हैं उनके जीवन के किस्से.
आंखों में चोट के कारण गई रोशनी
नेत्रहीनों के लिए कामयाबी की इबारत लिखना आसान बनाने वाले लुई ब्रेल का जन्म फ्रांस के एक छोटे कस्बे कुप्रे में चार जनवरी 1809 ईस्वी को हुआ था. लुई ब्रेल के पिता का नाम रेले ब्रेल था. वह घोड़ों की काठी बनाते थे. बताया जाता है कि तीन साल आयु में एक बार लुई ब्रेल अपने पिता के काठी बनाने वाले औजारों से खेल रहे थे. तभी उनकी आंखों में कील चुभ गई. यह उनके लिए काफी तकलीफदेह साबित हुई. लुई जैसे-जैसे बढ़ते गए उनकी आंखों में लगी चोट के कारण तकलीफ घटने के बजाय और बढ़ती ही गई. बताया जाता है कि लुई ब्रेल जब आठ साल के हुए तो उनको दिखना पूरी तरह से बंद हो चुका था.
सैनिकों के पढ़ने के तरीके से जन्मा विचार
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि लुई ब्रेल